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24 July, 2013

"मेरे काव्यसंग्रह से एक गीत-आओ साथी प्यार करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरे काव्य संग्रह 'धरा के रंग' से
से एक गीत
आओ साथी प्यार करें..!
ठण्डी-ठण्डी हवा चल रही,
सिहरन बढ़ती जाए!
आओ साथी प्यार करें हम,
मौसम हमें बुलाए!!

त्यौहारों की धूम मची है,
पंछी कलरव गान सुनाते।
बया-युगल तिनके ला करके,
अपना विमल-वितान बनाते।
झूम-झूमकर रसिक भ्रमर भी,
गुन-गुन गीत सुनाए!
आओ साथी प्यार करें हम,
मौसम हमें बुलाए!!

बीत गई बरसात हुआ,
गंगा का निर्मल पानी।
नीले नभ पर सूरज-चन्दा,
चाल चलें मस्तानी।
उपवन में भोली कलियों का,
कोमल मन मुस्काए!
आओ साथी प्यार करें हम,
मौसम हमें बुलाए!!

हलचल करते रहना ही तो,
जीवन के लक्षण हैं।
चार दिनों के लिए चाँदनी,
बाकी काले क्षण हैं।
बार-बार यूँ ही जीवन में,
सुखद चन्द्रिका छाए!
आओ साथी प्यार करें हम,
मौसम हमें बुलाए!!

रोली-अक्षत-चन्दन लेकर,
करें आज अभिनन्दन।
सुख देने वाली सत्ता का,
आओ करें हम वन्दन।
उसकी इच्छा के बिन कोई,
पत्ता हिल ना पाए!
आओ साथी प्यार करें हम,
मौसम हमें बुलाए!!

1 comment:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25/07/2013 को चर्चा मंच पर दिया गया है
    कृपया पधारें
    धन्यवाद

    ReplyDelete

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